जानें: क्यों भादो माह में हुआ राम मंदिर का भूमि-पूजन

कई सालों से हिंदुओं को जिस शुभ घड़ी का इंतज़ार था,वो दिन आ ही गया, पिछले वर्ष राम मंदिर की ज़मीन पर सर्वोच्च न्यायालय में हिंदू पक्ष के हक़ में फ़ैसला आया, और 2020 के 5 अगस्त को इसका भूमि-पूजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया, इस भूमि पूजन के शुभ अवसर पर कई जानी मानी हस्तियाँ मौजूद थी। जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पटना हनुमान मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल, श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, आनंदी बेन व अन्य कई प्रमुख लोग मौजूद थे।

हालाँकि लोगों को लाल कृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी जी की कमी काफ़ी खल रही थी, इस मामले में श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बयान जारी करते हुए कहा कि इस कोरोना काल में वृधावस्था की वजह से संक्रमण का ख़तरा होने के कारण वे आने में असक्षम रहे।

भूमिपूजन के बारे में लोगों के मन में तरह-तरह की भ्रांतियां पल रही थी, जिसमें सबसे प्रमुख था हिंदी महीने के हिसाब से “भादो” माह का होना, जिसमें शुभ कार्य व किसी भी प्रकार के बंधन के कार्य को अशुभ माना जाता है, इतना अशुभ कि लोग आम बोलचाल की भाषा में कहते हैं कि इस माह में लोग छप्पर तक नहीं बांधते।

इस मामले पर हमने कई आचार्य व जाने माने प्रतिष्ठित ब्राह्मणों से बात की तो पाया कि संक्रांति होने की वजह से इसे “भादो” महीना नहीं माना जाता है और मैथिली,वैदेही पत्रक के हिसाब से अगस्त महीने के 5,6 व 8 तारीख़ को भूमि पूजन का शुभ दिन है, इसलिए राममंदिर का भूमि पूजन इसी दिवस होने जा रहा है।

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